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खाद्य संकट

'आलू' करेगा मिस्र में खाद्य संकट को काबू, गेहूं के लिए भारत से आस लगाए बैठा है मिस्र

'आलू' करेगा मिस्र में खाद्य संकट को काबू, गेहूं के लिए भारत से आस लगाए बैठा है मिस्र

काहिरा। इन दिनों मिस्र में खाद्य सामग्री का भीषण संकट है। इस खाद्य संकट को काबू में करने के लिए आलू मददगार साबित हो सकता है। मिस्र के आपूर्ति मंत्री अली एल मोसेल्ही का कहना है कि देश मे अधिक आटा निकालने के लिए अधिक से अधिक आलू का उपयोग करने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। ऐसा करने से कम गेहूं से भी देश में खाद्य संकट को काबू में किया जा सकता है। मिस्र दुनियां में सबसे ज्यादा गेहूं का आयात करने वाला देश है। लेकिन इस साल रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मिस्र को गेहूं नहीं मिल सका है और यही वजह है कि आज देश के सामने खाद्य संकट खड़ा हो गया है। कभी भारत के गेहूं को सड़ा हुआ बताकर वापस लौटाने वाला मिस्र अब गेहूं के लिए भारत से ही आस लगाए बैठा है।

80 हजार टन गेहूं खरीद का हुआ अनुबंध

- मिस्र ने हाल ही में भारत से 80 हजार टन गेहूं खरीदने का अनुबंध किया है। हालांकि यह खेप पहले के मुकाबले काफी कम है। मिस्र की कुल 10.3 करोड़ आबादी है। लेकिन फिलहाल की परिस्थितियों को काबू करने के लिए काफी मददगार साबित होगी।

तुर्की और मिस्र से ठुकराया भारत का गेहूं इजराइल के बंदरगाह पर

- तुर्की और मिस्र ने भारत के गेहूं को सड़ा हुआ बताकर वापस लौटा दिया था। तुर्की और मिस्र से ठुकराया हुआ 56000 टन गेहूं इजराइल के बंदरगाह पर अटका हुआ है, क्योंकि तुर्की और मिस्र होते हुए गेहूं अब इजराइल पहुंच गया है, जहां से भारत सरकार से हरी झंडी मिलने का इंतजार है।
बंदरगाहों पर अटका विदेश जाने वाला 17 लाख टन गेहूं, बारिश में नुकसान की आशंका

बंदरगाहों पर अटका विदेश जाने वाला 17 लाख टन गेहूं, बारिश में नुकसान की आशंका

मुंबई। भारत से विदेश जाना वाला करीब 17 लाख टन गेहूं विभिन्न बंदरगाहों पर अटक गया है। बारिश से इसके खराब होने की आशंका जताई जा रही है। पिछले महीने निर्यात पर पाबंदी के बाद भारत ने 469202 टन गेहूं को निर्यात की मंजूरी दी गई है। यह निर्यात मुख्य रूप से फिलीपीन, बांग्लादेश, तंजानिया और मलेशिया को भेजा जाना है। मुंबई के एक डीलर ने कहा कि कोडला और मुद्रा पोर्ट्स पर सबसे ज्यादा 13 लाख टन से अधिक गेहूं पड़ा हुआ है। सरकार को बंदरगाहों पर पड़े गेहूं के निर्यात की अनुमति देनी चाहिए। खाद्य संकट के दौर से गुजर रहे कई देशों ने भारत से 15 लाख टन से अधिक गेहूं की आपूर्ति मांगी है।

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तुर्की ने 56,877 टन गेहूं की खेप लौटाई

- बीते 29 मई को तुर्की ने भारत से गए 56,877 टन गेहूं की खेप लौटा दी है। इंस्ताबुल के एक कारोबारी नव गेहूं में रुबेला वायरस पाए जाने की बात कही है। इस पर खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि भारत सरकार ने तुर्की के अधिकारियों से इस बारे में ज्यादा जानकारी मांगी है।

अच्छी फसल है इसलिए ज्यादा गेहूं भेजा

- वैश्विक कंपनियों के तीन डीलरों के मुताबिक प्रतिबंध लगाने से पहले, निर्यातकों ने बड़ी मात्रा में बंदरगाहों पर गेहूं भेज दिया था। उस समय तक अच्छी फसल की पैदावार का अनुमान था। व्यापारियों को उम्मीद थी कि भारत इस साल 80 लाख से एक करोड़ टन या इससे भी अधिक के शिपमेंट को मंजूरी देगा। पिछले साल 72 लाख टन के निर्यात की अनुमति दी गई थी।

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कांडला और मुंद्रा पोर्ट में सबसे ज्यादा गेहूं

मुंबई के एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म के डीलर ने कहा कि कांडला और मुंद्रा पोर्ट्स में सबसे ज्यादा गेहूं का भंडार फंसा है। इन दोनों बंदरगाहों पर करीब 13 लाख टन से अधिक गेहूं पड़ा हुआ है। सरकार को तुरंत निर्यात परमिट जारी करने की आवश्यकता थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि बंदरगाहों पर गेहूं खुले में था। बारिश की चपेट में यह कभी भी आ सकता है। एक डीलर ने कहा कि गेहूं को बंदरगाहों से बाहर और आंतरिक शहरों में स्थानीय खपत के लिए ले जाना संभव नहीं था। इससे व्यापारियों को लोडिंग और यातायात लागत के कारण और भी ज्यादा नुकसान होगा।

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निर्यात की अनुमति फिलहाल नहीं

-भारत सरकार ने फिलहाल गेहूं निर्यात की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया है। जिससे बंदरगाहों पड़े गेहूं को लेकर व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रहीं हैं।

 ------ लोकेन्द्र नरवार

भारत में अब भर जाएंगें अन्न भंडार, जाने सरकार किस योजना पर कर रही है काम

भारत में अब भर जाएंगें अन्न भंडार, जाने सरकार किस योजना पर कर रही है काम

भारत में काफी ज्यादा लोग कृषि में लगे हुए हैं, देश का काफी ज्यादा हिस्सा खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारत में काफी जमीन उपजाऊ है, लेकिन जहां पर बंजर जमीन है वहां पर भी सरकार द्वारा अनेक तरह की योजनाएं चलाई जाती हैं ताकि वहां पर खेती की जा सके। किसान भी यहां पर खेती करने में कोई कसर नहीं रहने देते हैं और उत्पादन बढ़ाने के लिए रात दिन प्रयासरत रहते हैं। लेकिन फिर भी बहुत बार ऐसा होता है, कि किसानों को अपनी की गई मेहनत का फल पूरी तरह से नहीं मिल पाता है और किसी न किसी कारण से फसल बर्बाद हो जाती है या फिर उम्मीद के अनुसार उत्पादन नहीं हो पाता है। इस चीज के कई कारण है, लेकिन जलवायु परिवर्तन उनमें से एक है। इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए ही भारत सरकार ने एक योजना बनाने के बारे में सोचा है। माना जा रहा है, कि इस योजना के बाद भारत में अन्न भंडार हमेशा के लिए भरे रहेंगे और किसी भी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।

घरेलू खाद्य संकट के निपटारे की ओर बढ़ेगा कदम

आजकल आए दिन कहीं ना कहीं कोई समस्या चलती रहती है, ऐसी ही कुछ चीजों से खाद्य संकट पैदा होना जाहिर सी बात है। जैसे- रूस-यूक्रेन युद्ध, कोरोना महामारी। इसके अलावा आजकल जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक घटनाओं से भी फसलों को नुकसान हो रहा है, जिसका असर किसी भी देश के अन्य भंडार पर सीधे तौर से पड़ता है। ऐसे में भारत ने खाद्य संकट को खत्म करने के लिए कुछ कदम उठाने का फैसला किया है। भारत सरकार अब दुनिया के 'सबसे बड़ा अनाज भंडारण योजना' के विकास-विस्तार पर काम कर रही है।


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इस स्कीम के तहत जल्द ही कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ-साथ उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण समेत दूसरे मंत्रालयों के तहत आने वाली कुछ योजनाओं को भी जोड़ दिया जाएगा। ये इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि कोरोना महामारी से लेकर यूक्रेन-रूस युद्ध और दूसरी वैश्विक घटनाओं का सीधा असर खाद्य आपूर्ति पर हो रहा है। खाने पीने की सभी चीजों की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई है, जिससे लोगों में और सरकार में घरेलू खाद्य सुरक्षा की चिंता भी बढ़ रही है।

किया जाएगा साइलो भंडारण तरीके का इस्तेमाल

साइलो भंडारण तकनीक अनाज भंडारण की एक आधुनिक तकनीक है, जो पुराने जमाने में किए गए भंडारण के तरीके से कहीं ज्यादा सुरक्षित मानी गई है। साथ ही, इसमें पहले के मुकाबले ज्यादा अनाज का भंडारण भी किया जा सकता है। इसमें 12,500 टन भंडारण क्षमता के स्टील के टैंक बने होते हैं। पहले गोदाम आदि में बोरियों में भरकर अनाज को रखा जाता था, जिसमें एक के ऊपर दूसरी बोरी रखी जाती थी। बारिश या फिर किसी भी तरह की आपदा के चलते ऐसे में फसलों के बर्बाद होने की संभावना ज्यादा रहती है। लेकिन साइलो भंडारण में आधुनिक तकनीकों से लैस टैंकों में अनाज की सुरक्षित रखा जाता है, जिसमें नुकसान की कोई संभावना नहीं होती।


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अभी कुछ दिन पहले ही बाली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया और वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, कि मौजूदा उर्वरक की कमी खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। ऐसे में आधुनिक अनाज भंडारण की योजना पर काम करना भविष्य में फायदेमंद साबित होगा।